उत्तराखंड। उत्तराखंड के कोटद्वार में साइबर ठगी का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां राजकीय पीजी कॉलेज की एक वरिष्ठ प्राध्यापिका को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर 1.11 करोड़ रुपये ठग लिए गए। ठगों ने व्हाट्सएप कॉल पर खुद को जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर प्राध्यापिका को झांसे में लिया और 11 दिनों तक मानसिक दबाव में रखा।
आठ दिसंबर को बंगलुरू से कथित टेलीफोन विभाग के अधिकारी बनकर कॉल की गई। प्राध्यापिका के नंबर से आपत्तिजनक संदेश भेजे जाने और एक छात्रा की आत्महत्या का हवाला देकर मुकदमे की धमकी दी गई। इसके बाद एक महिला अधिकारी के नाम पर लगातार संपर्क रखा गया और सेटलमेंट के नाम पर बड़ी रकम वसूल ली गई।
डर के कारण प्राध्यापिका किसी से संपर्क नहीं कर सकीं। 16 दिसंबर को इंडियन बैंक खाते से 37 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए। इसके बाद इलाहाबाद जाकर एफडी और पॉलिसी मेच्योरिटी की 30 लाख से अधिक की राशि भी भेज दी गई। 19 दिसंबर को बड़ी बहन की जमा पूंजी करीब 40 लाख रुपये भी ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दी गई।
अंततः भाई के हस्तक्षेप और हिम्मत दिलाने पर प्राध्यापिका ने आगे पैसे भेजने से इनकार किया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पीड़िता के अनुसार, ठग अब भी व्हाट्सएप कॉल के जरिए संपर्क कर ‘अरेस्ट वारंट कैंसिलेशन’ के नाम पर 64 लाख रुपये की मांग कर रहे हैं।
