देहरादून:
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे जयहरीखाल ब्लॉक के ग्राम पंचायत अमलेसा के तोक गांव डाल्यूंगाज और आसपास के सिरोबाड़ी गांवों में बीते पांच दिसंबर से दहशत का कारण बने बाघ को आखिरकार वन विभाग की टीम ने काबू में कर लिया है। रविवार तड़के करीब तीन बजे सिरोबाड़ी गांव में बाघ को सफलतापूर्वक ट्रैंकुलाइज कर पिंजरे में कैद किया गया, जिसके बाद उसे कॉर्बेट के ढेला रेंज ले जाया गया। बाघ के पकड़े जाने के बाद पूरे क्षेत्र में राहत का माहौल है।
इस अभियान का नेतृत्व कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पशु चिकित्सक डॉ. दुष्यंत कुमार ने किया। उनके साथ एसओजी और रेस्क्यू टीम बीते दो दिनों से बाघ की लगातार निगरानी कर रही थी। केटीआर के प्लेन रेंज के रेंजर अमोल इष्टवाल ने बाघ के पकड़े जाने की पुष्टि की है। वन विभाग की टीम के अनुसार, बाघ बेहद सतर्क था और लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा था, जिससे उसे पकड़ने में काफी चुनौती आ रही थी।
उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत अमलेसा के तोक गांव डाल्यूंगाज में पांच दिसंबर को चारा-पत्ती काट रही 60 वर्षीय उर्मिला देवी पर बाघ ने हमला कर उनकी जान ले ली थी। इस घटना के बाद से ही क्षेत्र में भय का माहौल बना हुआ था और लोग घरों से बाहर निकलने में भी डर महसूस कर रहे थे। हालांकि इलाके में गुलदारों की सक्रियता पहले से रही है, लेकिन इस बाघ की मौजूदगी ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी थी।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि केटीआर से सटे इलाकों में वन्यजीवों की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। सेंधी की प्रधान निर्मला रावत, पूर्व प्रधान भगत सिंह और अमलेसा के प्रधान गजेंद्र सिंह पुंडीर के अनुसार, क्षेत्र में कई गुलदार और बाघ सक्रिय हो सकते हैं, जिससे भविष्य में भी सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है। फिलहाल बाघ के पकड़े जाने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है और वन विभाग की कार्रवाई की सराहना की जा रही है।
