नैनीताल।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले की अगली तारीख 8 दिसंबर निर्धारित की है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि सीएमओ को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
मामले के अनुसार, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि सरकारी अस्पतालों में मूलभूत चिकित्सा सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। कई अस्पतालों में मशीनें खराब पड़ी हैं, जबकि डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। स्थिति इतनी बदतर है कि मरीजों को इलाज के बजाय सीधे हायर सेंटर भेज दिया जाता है। याचिका में कहा गया कि अधिकांश अस्पताल इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (IPHS) के मानकों पर खरे नहीं उतरते।
पूर्व आदेशों के तहत डीजी हेल्थ डॉ. सुनीता टम्टा पहले भी कोर्ट में प्रस्तुत हो चुकी हैं। उन्होंने बीडी पांडे जिला अस्पताल और रैमजे अस्पताल से जुड़ी भूमि के मानचित्र भी कोर्ट को सौंपे थे। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा नैनीताल में दो सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल खोलने के आश्वासन का उल्लेख करते हुए उच्च न्यायालय ने भवाली सेनिटोरियम में मल्टी-स्पेशियालिटी अस्पताल स्थापित करने का प्रस्ताव मांगा है, ताकि पहाड़ी क्षेत्र के मरीजों को राहत मिल सके।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया, भिकियासैंण और स्याल्दे क्षेत्रों में लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के विरोध में आंदोलन और पदयात्रा करने को मजबूर हैं। पैरामेडिकल स्टाफ से लेकर डॉक्टरों के आवास तक की भारी कमी है, जिससे सेवा प्रभावित होती है।
याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य के 13 जिलों—पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली सहित नैनीताल—में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुख्य मेडिकल कॉलेजों से कई घंटे दूर हैं। दूर-दराज़ के इलाके से आने वाला गंभीर मरीज छह से नौ घंटे का सफर कर अस्पताल पहुँचता है, और फिर वहाँ से हल्द्वानी, ऋषिकेश या देहरादून रेफर होने पर उसकी जान बचने की संभावना कम हो जाती है।
याचिका में मांग की गई है कि राज्य के सभी जिला अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी तुरंत पूरी की जाए, IPHS मानकों के अनुसार आवश्यक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराए जाएँ, पहाड़ी जिलों में मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित किए जाएँ, और बीडी पांडे जिला अस्पताल नैनीताल की सुविधाएँ तत्काल बढ़ाई जाएँ। हाईकोर्ट ने इन बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट के साथ अगली सुनवाई 8 दिसंबर को निर्धारित की है।
