देहरादून। दून इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित दून लिटरेचर फेस्टिवल के समापन समारोह के दौरान पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि जैसे-जैसे तकनीक तेजी से बदल रही है, भारतीय सेना को भी पहले से अधिक गतिशील और तकनीक-सक्षम बनना होगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित किया कि दुश्मनों पर सटीक और प्रभावी तरीके से हमला कैसे किया जाता है, और भविष्य की सैन्य रणनीतियों को भी इसी दिशा में तैयार करने की आवश्यकता है।
जनरल नरवणे ने इंडिया @ 2047 – ए सेंचुरी-यंग नेशन सत्र में भारत की विकास गति, तकनीक की भूमिका, और महिलाओं की समान भागीदारी पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि देहरादून को वह अपना दूसरा घर मानते हैं क्योंकि यहां भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) है, जिसने उनके करियर और जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति पर भी अपनी स्पष्ट राय रखी। उनके अनुसार वर्तमान में भारत अमेरिका और चीन से काफी पीछे है, इसलिए हमारी आर्थिक वृद्धि दर डबल डिजिट में होनी चाहिए ताकि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हम मजबूत स्थिति बना सकें। उन्होंने बताया कि देश में सैनिक स्कूलों की संख्या बढ़ाई गई है और मशीन लर्निंग व अन्य आधुनिक संसाधनों पर तेजी से कार्य करना आवश्यक है।
विप्रो की ग्लोबल चीफ मार्केटिंग ऑफिसर रंजीता घोष ने भी सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं और पुरुषों की शिक्षा की तुलना के बजाय शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है।
सत्र से पहले पर्यावरणविद् अनूप नौटियाल ने उत्तराखंड की नाजुक पारिस्थितिकी, बढ़ती जनसंख्या और प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता जाहिर की। वहीं दून लिटरेचर फेस्टिवल के संस्थापक समरांत विरमानी ने कहा कि तीन दिनों तक चली चर्चाओं और प्रस्तुतियों ने फेस्टिवल की पहचान और अधिक सशक्त की है।
उद्यमी आदित्य पिट्टी ने भी कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज की एआई आधारित दुनिया में कौशल (स्किल) सबसे बड़ी आवश्यकता है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब महिलाओं की भागीदारी संसद में भी बढ़ रही है, जो संतुलित विकास का संकेत है। उन्होंने बताया कि भारत 50 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी की दिशा में तेजी से काम कर रहा है, जो भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भरता का वास्तविक अर्थ आत्मविश्वास होता है। इसलिए आर्थिक रूप से मजबूत और विकसित भारत के निर्माण में हर नागरिक को योगदान देना होगा।
